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आप भाग्यशाली हैं कि आप के पास अपना कहने के लिए एक देश है

कथाकार मनोज कुमार पाण्डे बहुत तार्किक ढंग से वैचारिक लेख लिखते हैं. आज़ादी को याद करने के मौसम में उनका यह लेख पढियेगा- मॉडरेटर  ============================== आज के लगभग सत्तर साल पहले हमें वह आजादी मिली जिसे आज हम पाठ्य पुस्तकों में आजादी के नाम से पढ़ते जानते हैं। तब से …

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दो नम्मर से साहित्य अकादमी रह गया था!

नॉर्वे प्रवासी डॉक्टर प्रवीण कुमार झा के व्यंग्य कुछ दिन न पढ़ें तो कुछ कुछ होने लगता है. यह ताज़ा है. पढियेगा- मॉडरेटर  =================== जब हिंदी लिखने की सोची तो कवि कक्का का ख्याल आया। इलाके के इकलौते ‘सर्टिफाइड‘ कवि। बाबा नागार्जुन के साथ उठना-बैठना था। कहते हैं दो नम्मर …

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हंसदा सोवेंद्र शेखर की कहानी ‘नवंबर प्रवास का महीना है’

आजकल आदिवासी जीवन को लेकर लेखन की चर्चा है. ऐसे में याद आया साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार 2015 से सम्मानित हंसदा सोवेंद्र शेखर की अंग्रेजी किताब ‘आदिवासी विल नॉट डांस’, जिसका हिंदी अनुवाद राजपाल एंड सन्ज प्रकाशन से शीघ्र प्रकाशित होने वाला है. अनुवाद हिंदी की युवा कवयित्री रश्मि भारद्वाज …

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