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मैं भारत में नहीं रहता हूं मैं अपने घर में रहता हूं

महीनों से चल रहे चुनावी चक्र से बोर हो गए हों,  राजनीतिक महाभारत से ध्यान हटाना चाहते हों तो कुछ अच्छी कविताएं पढ़ लीजिए. हरेप्रकाश उपाध्याय की हैं- जानकी पुल. ============================================== 1. जिन चीजों का मतलब नहीं होगा ……………… मैं भारत में नहीं रहता हूं मैं अपने घर में रहता …

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हाथी-घोड़ा-पालकी

लोकसभा चुनाव संपन्न हुए, हार-जीत तय हो गई. आज कई अखबारों में चुनाव परिणामों का विश्लेषण देखा-पढ़ा. ‘जनसत्ता’ संपादक ओम थानवी का यह विश्लेषण कुछ अधिक व्यापक, संतुलित और बेबाक लगा. आप भी पढ़िए- प्रभात रंजन  ==================================== न कांग्रेस को इस पतन की उम्मीद थी, न भाजपा को ऐसे आरोहण …

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‘गायब होता देश’ पर मैत्रेयी पुष्पा की टिप्पणी

 अपने पहले उपन्यास ग्लोबल गांव के देवता के चर्चित और बहुप्रशंसित होने के बाद रणेन्द्र अपने दूसरे उपन्यास गायब होता देश के साथ पाठकों के रूबरू हैं. पेंगुइन बुक्स से प्रकाशित यह हिंदी उपन्यास अनेक ज्वलंत मुद्दों को अपने में समेटता है मसलन आदिवासी जमीन की लूट, मीडिया का घुटना …

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