Recent Posts

अलका सरावगी के नए उपन्यास का अंश

अलका सरावगी मेरी सबसे प्रिय लेखिकाओं में हैं. उनका हर उपन्यास जीवन को, समाज को समझने की एक नई खिड़की खोलता है. हर बात वही चिर परिचित किस्सागोई, वही कोलकाता लेकिन लेकिन एक नई छवि. समकालीन लेखकों में ऐसा किस्सागो दूसरा नहीं. फिलहाल उनके नए उपन्यास का अंश. अंश से …

Read More »

पिंक फ्लॉयड, द गनर्स ड्रीम और स्वप्निल का अनुवाद

आज कल सेना, सैनिक, शहादत की बड़ी चर्चा है. लेकिन क्या कोई यह सोचता है सैनिक मन में क्या चाहता है? महान ब्रिटिश बैंड पिंक फ्लॉयड का गाया एक मशहूर गीत है ‘द गनर्स ड्रीम’. उस गीत का बहुत सुन्दर अनुवाद स्वप्निलकान्त दीक्षित ने किया है. स्वप्निल ने अभी कुछ दिन …

Read More »

एजाज अहमद: पश्चिम की‘थ्योरी’ और तीसरी दुनिया का साहित्य

एजाज अहमद का नाम 90 के दशक में थ्योरी, आलोचना के सन्दर्भ में खूब लिया जाता था. आजकल गंभीर विमर्शों, आलोचना से नई पीढ़ी विमुख हो रही है. लेकिन वैभव सिंह का लेखन इसका अपवाद है. वे लगातार गंभीर लेखाकं कर रहे हैं और हिंदी आलोचना को समृद्ध कर रहे …

Read More »