Recent Posts

उजड़े हुए लोगों के उजड़ते रहने की दास्तान है ‘दातापीर’

अभी हाल में ही ‘कथाक्रम’ सम्मान की घोषणा हुई है। इस बार यह सम्मान हृषीकेश सुलभ को दिए जाने की घोषणा हुई है। उनके नए उपन्यास ‘दाता पीर’ पर यह टिप्पणी लिखी है युवा शोधार्थी महेश कुमार ने। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास की समीक्षा आप भी पढ़ सकते …

Read More »

कॉलेज में कई जीवन वर्ष: विजया सती

हिंदू कॉलेज में दशकों हिंदी पढ़ाने वाली डॉक्टर विजया सती जी शिक्षा-जगत से जुड़े अपने अनुभवों को संस्मरण के रूप में दर्ज कर रही हैं। आज उसकी तीसरी कड़ी पढ़िए- ===================== भूलचूक होती हैं – सुधार लें संवार ले .. क्या ही बात हो! पिछली बार मैं अपने गुरुजनों में …

Read More »

प्रियंका ओम की कहानी ‘रात के सलीब पर’

आज पढ़िए युवा लेखिका प्रियंका ओम की कहानी ‘रात के सलीब पर’। एक अलग तरह की पृष्ठभूमि की यह कहानी बेहद पठनीय है और रोचक भी- ===================== शहर से दूर पश्चिमी तट पर संपर्क तंत्र से रहित, लम्बे ताड़ दरख्तों से घिरा यह पोशीदा ज़ज़ीरा बुजदिला वास्ते बहिश्त है। शोर-शराबे …

Read More »