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आत्मविस्मृति से आत्मान्वेषण की यात्रा: क्वीन

आजकल सिनेमा पर गंभीर लेख कम ही पढने को मिलते हैं. फ़िल्में आती हैं, कुछ दिन उनकी चर्चा होती है फिर सब भूल जाते हैं. लेकिन कुछ समय बाद कोई किसी फिल्म पर लिखे, उसके ट्रेंड्स की चर्चा करे तो लगता है इस फिल्म में कुछ था. अभी दिल्ली विश्वविद्यालय …

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एक फिल्म रसिक की डायरी के कुछ अनुच्छेद

सिनेमा अन्ततः दृश्यों के माध्यम से कहानी कहने की कला है. अपनी पसंद के कुछ सिने-दृश्यों के माध्यम से युवा लेखिका सुदीप्ति ने एक अच्छा लेख लिखा है. एक बार फिर सिनेमा पर उनका एक पठनीय लेख- मॉडरेटर. ====== यह एक फिल्म समीक्षक की नहीं, फिल्म की एक रसिया की …

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वह मेरी बेटी है वह मेरी माँ भी है.

कुछ कविताएं अपनी कला से प्रभावित करती हैं, कुछ विचारों से, कुछ अपनी सहज भावनाओं से. कलावंती की ‘बेटी’ श्रृंखला ऐसी ही कविताओं में आती हैं. पढ़िए 5 कविताएं- मॉडरेटर  ======================================================= बेटी –1 वह नटखट मेरी चप्पलें पहने खटखट चलती है रूनझुन   मैं फिर से बड़ी हो रही हूँ …

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